Team Dastak Today
भाई के लंबी उम्र की कामना हर बहनों के मन व दिलों में सदियों से रही है। गुरुवार को भाई दूज का पर्व नेपाल सहित गलगलिया एवं सटे अन्य आस-पास के क्षेत्रों में बहनों ने पूरे विधि-विधान व धार्मिक अनुष्ठान के साथ मनाया। जहां बहनों ने अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु की कामना की तो भाइयों ने भी उनकी सुरक्षा करने का संकल्प लेते हुए उपहार भेंट किया। भाई-बहन के अटूट प्रेम को सूत्र में पिरोते इस त्योहार को जितना उत्साह बहनों में दिखा उतने ही भाई भी उत्साहित दिखे। भाइयों ने भी अपनी बहनों को स्नेह स्वरूप उपहार दिए। पर्व के एक दिन पूर्व गलगलिया के मुख्य बाजारों में नेपाल एवं सीमावर्ती क्षेत्र की महिलाओं और युवतियों ने जमकर खरीदारी की। भाई दूज के मौके पर बड़ी संख्या में बहनें अपने भाइयों के घर पहुंची। उन्होंने घर में भगवान धर्मराज को तिलक लगाकर उन्हें अनाज चढ़ाया। गुरुवार को अहले सुबह से भाई दूज की तैयारी शुरू हो गई थी। पर्व को लेकर बहनें सामाग्री जुटाने में व्यस्त रही तो वहीं भाई पूरी तैयारी में जुटे रहे। शुभ समय के साथ बहनें अपने घर के आंगन में पर्व की सामग्री के साथ बैठी और पूजा में जुट गई। इस दौरान बहनों ने सर्वप्रथम हलजुआत से चनाए गड़ी व रंगीली कांटा को कूटा, तत्पश्चात बहनों ने हलजुआत से चना-गड़ी का प्रसाद तैयार कर भाइयों को खिलाया, और भाई के लंबी आयु के लिए ईश्वर से कामना की। इस दौरान पर्व से जुड़े पारंपरिक गीत भी बहनों की ओर से गाए जा रहे थे। दो घंटे के पूजा के क्रम में महिलाओं व युवतियों ने पारंपरिक गीत के बीच भाइयों के लिए भईया दूज का पर्व मनाया। साथ ही बहनाें ने पूरे विधि-विधान के साथ पूजा को संपन्न किया। इस दौरान यम-यमिनी की भी पूजा की गई। लड़कियों के साथ बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी इस पर्व में शिरकत की।
भाई दूज पर्व की यह है मान्यता :
भाई दूज के रूप में मनाए जाने वाले त्योहार के लिए ऐसा माना जाता है कि दीपावली के बाद भाई दूज के दिन ही यमराज ने अपने बहन यमी के घर का रुख किया था। जहां पर यमराज की बहन यमी ने उनके माथे पर तिलक लगाकर उनकी सलामती के लिए दुआ मांगी थी। मान्यता है कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से माथे पर तिलक लगाता है, वह कभी भी नर्क में नहीं जाता है। वहीं एक अन्य कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध करने के बाद अपनी बहन सुभद्रा के घर का रुख किया था। जहां पर कृष्ण की बहन सुभद्रा ने दिए जलाकर भाई का स्वागत किया था और तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र की दुआ मांगी थी। वर्तमान में भी यह प्रथा चली आ रही है। वहीं ऐसा भी माना जाता है कि दीपावली का पर्व इस त्योहार के बिना अधूरा है।