भारत सरकार के जारी पत्र के बाद भी नगर विकास एवं आवास विभाग नहीं जागा
प्रदीप कु. शर्मा / किशनगंज : ठाकुरगंज प्रखंड के ग्रामीण व नगर पंचायत की गलियों में इनदिनों आवारा कुत्तों का आतंक इस कदर बढ़ गया है, की लोगो को अनजान गलियों से गुजरने में डर लगने लगा हैं, ठाकुरगंज नगर पंचायत की कई ऐसे वार्ड है जिनमें तो कुत्ते के शिकार दर्जनों लोग मिल जायेंगे |
कई ऐसे गली है जहाँ आवारा कुत्तों काटने के डर से लोग सुबह व देर रात को घरों से निकलने से भी कतराते हैं ।
आवारा कुत्ते बच्चों को अपना निशाना बनाते हैं, तो कभी वह वाहन से जाने वालों पर हमला कर देते हैं। इसी बीच अब राजौरी में आवारा कुत्तों के आतंक को देखते हुए लोग गलियों से निकलना कम कर दे रहे हैं। ठाकुरगंज नगर में तो कई वर्षो से जंगली बंदरों का भी आतंक देखा जाता हैं फिर भी प्रशासन कोई कदम नहीं उठा रही |
यही नहीं बल्कि ठाकुरगंज नगर स्थित अस्पताल, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, प्रखंड मुख्यालय आदि सार्वजनिक स्थानों के आस-पास आवारा कुत्तों के झुण्ड को अक्सर देखा जाता हैं |
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट की माने तो ठाकुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रत्येक माह करीब 80 से अधिक मरीज सिर्फ जानवरो के काटने से घायल आते हैं यह बढ़ता जा रहा | सिर्फ सितंबर माह की अगर बात करें तो जानवरों के काटने से 88 मरीजों का इलाज ठाकुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कराया गया | डॉक्टर की माने तो कुत्ते के काटने से रेबीज नामक जानलेवा बीमारी हो जाती हैं |
मिडिया रिपोट की माने तो भारत में रेबीज के प्रतिरोध और नियंत्रण के संघ (एपीसीआरआई) के अनुसार, भारत में हर साल 1.7 करोड़ कुत्ते काटने के मामले आते हैं |
Ministry of Housing and Urban Affairs, Government of India ने 25/07/2024 को National Commission for Protection Of Child Rights ( NCPCR ) के सन्दर्भ में आवारा कुत्तों से बच्चों के बचाव के लिए सुरक्षा हेतु प्राप्त पत्र की छाया प्रतिशत करते हुए कृति कार्रवाई से संबंधित प्रतिवेदन मिस कल के माध्यम से विभाग को पत्र भेजा था, कल्याण मैन प्रतिवेदन अपर्याप्त रहा | इसके बाद पुनः भारत सरकार ने फिर से पत्र जारी कर नगर एवं आवास विभाग पटना, बिहार को अवगत कराया |
नगर पंचायत ठाकुरगंज के सूत्रों की माने तो इसके लिए पूर्व में एक कमेटी भी गठित की गई थी पर उसे कमेटी के द्वारा कोई भी कम नहीं उठाया गया |